भारतभक्ति संस्थान की ओर से कई तरह के मंचीय कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाती है जिनमे से भारत माँ की आरती, शिवविवाह, राष्ट्रकथा, काव्यधारा, वंदे गौमातरम, विभिन्न भजन संध्याएं आदि प्रमुख है. इन सभी कार्यक्रमों में मुख्या भूमिका में स्वयं बाबाजी ही रहते हैं. अधिकतर कार्यक्रमों में कला की विभिन्न विधाओं का प्रयोग किया जाता है. जितने भी कार्यक्रम किये जाते हैं वे एक होते हुए भी अलग अलग ही होते है, क्योंकि दर्शकों तथा देशकाल के हिसाब से कार्यक्रम की विषयवस्तु और स्वरूप में परिवर्तन होता ही रहता है, परन्तु मूल रूप से सभी कार्यक्रम देश एवं संस्कृति की महानता के प्रति समर्पित होते हैं.
भारत माँ की आरती देशभक्ति की सौरभ से सुवासित ऐसा अद्भुत कार्यक्रम है जो हर उम्र, हर वर्ग, हर क्षेत्र के लोगो द्वारा सामान रूप से पसंद किया गया है. वंदे मातरम तथा अनेक राष्ट्रीय गीतों, कविताओ, चित्रकारी, से सजे इस कार्यक्रम में दर्शक खुद ही कार्यक्रम का अंग बनकर गाने, झूमने और नाचने लगते है...पता ही नहीं चलता. अलग - अलग अभिरुचि वाले महिला पुरुष अपने आप को भूलकर विभिन्न रसों के एक अलग ही आनंद लोक में चले जाते है... जब कार्यक्रम के अंत में भारत माता की जय गूंजती है तब उन्हें पता लगता है कि वे कोई कार्यक्रम देखने आये थे. कार्यक्रम का प्राम्भ गीत, कविता, हास्य व्यंग्य की बातों से होता है. अंत में आरती के समय सभी दर्शक हाथों में दीपक लेकर बाबा के साथ मंच पर बने गई भारत माँ की पेंटिंग की आरती करते है. फूलों की वर्षा, नृत्य, आतिशबाजी और लाइट साउंड के इफेक्ट के साथ कार्यक्रम संपन्न होता है. विगत ७ वर्षों में दुनिया भर अभी तक इस कार्यक्रम की लगभग ६०० से भी अधिक प्रस्तुति दी जा चुकी हैं.
राष्ट्रकथा
देश की गौरव - गरिमा, धर्म की वैज्ञानिक विवेचना, पर्यावरण के प्रति चेतना और सामयिक विषयों पर चिंतन आदि की एक से अधिक दिवसीय संगीतमयी कला प्रस्तुति राष्ट्रकथा है. विभिन्न धार्मिक कथाओं की तरह इस आयोजन में धार्मिक कर्मकांड होते है परन्तु उन्हें सामाजिक स्वरूप दे दिया जाता है. वृक्षारोपण, समरसता भोज, स्वच्छता अभियान, योग आदि गतिविधियां इस आयोजन के अनियार्य अंग होते हैं. अभी तक इस प्रकार के ५ आयोजन हो चुके हैं.

शिव विवाह
भगवान शंकर के विवाह को आधार बनाकर हास्य-व्यंग्य एवं संगीत के साथ वर्तमान युग की विसंगतियों, सामाजिक कुरीतियों, दिखावे की प्रवृतियों पर कटाक्ष एवं भारतीय विवाह परम्परा की प्रासंगिकता को इस कार्यक्रम में उभारा जाता है. कार्यक्रम में भगवान शिव पारवती, नंदी, देवताओएवं भूत प्रेतों के पात्रों के मनोरंजक अभिनय इस कार्यक्रम को एक अलग ही स्वरुप प्रदान करते हैं.

बाबा उवाच
बाबाजी मूल रूप से कवि है. विभिन्न विषयों पर उन्होंने कविताओं कि रचना की है. इस कार्यक्रम में उनकी तथा उनके एक-दो सहयोगी कवियों की कविताओं का वाचन होता है. उनके विभिन्न रसों कि कविताओं की प्रस्तुति को सुनना अपने आप में अलग ही आनंद का विषय है. कभी-कभी इस कार्यक्रम में लाइट-साउंड और वीडियो प्रोजेक्टर का भी प्रयोग करके कविताओं के विषयों को और भी प्रभावी बना दिया जाता है.

भजन संध्याये
सामान्य रूप से भजन संध्याए आपने कई बार सुनी होगी पर बाबाजी द्वारा उन्ही भजनों को सुनना एक अलग अनुभव है क्योंकि जब बाबाजी द्वारा प्रस्तुत विभिन्न देवताओं को समर्पित भजनो के साथ उनके भाव तथा धर्म के मूल तत्वों कि विवेचना भी की जाती है. तब ये भजन भक्तिभावना के साथ अपनी महान भारतीय संस्कृति की सौरभ से भी महकने लगते हैं. इन भजनों से मरने के बाद मिलने वाले स्वर्ग से का सम्बन्ध हो या न हो पर इस दुनिया को स्वर्ग बनाने से सम्बन्ध जरूर होता है.
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